तुम कहते हो की मै रुक जाऊ,
तुम कहते हो की मै ही झुक जाऊ,
तुम मांगते हो मुझ से संपूर्ण समर्पण ,
और चाहते हो मेरा हर क्षण,
जब तुम यह सब कहते हो,
जब तुम यह सब मांगते हो,
तब मै चुपके से
तुम्हारी आँखों मै झांकती हु
और
खोजती हु अपने लिया
बस थोडा सा प्रेम
और थोडा सा अपनापन,
पर तुम देते हो मुझे सूनी सी मुस्कान,
और एक धुन्दला सा अपनापन,
और मै समझ नहीं पाती
फिर क्यों कर दू मै तुमपर
अपना सब कुछ समर्पित!!!!!!!
तुम कहते हो की मै ही झुक जाऊ,
तुम मांगते हो मुझ से संपूर्ण समर्पण ,
और चाहते हो मेरा हर क्षण,
जब तुम यह सब कहते हो,
जब तुम यह सब मांगते हो,
तब मै चुपके से
तुम्हारी आँखों मै झांकती हु
और
खोजती हु अपने लिया
बस थोडा सा प्रेम
और थोडा सा अपनापन,
पर तुम देते हो मुझे सूनी सी मुस्कान,
और एक धुन्दला सा अपनापन,
और मै समझ नहीं पाती
फिर क्यों कर दू मै तुमपर
अपना सब कुछ समर्पित!!!!!!!