माँ जो तुम चली गयी
मेरा तुम्हारा घर ही नहीं
हमारे दिल का कोई कोना खली हो गया
तुम्हारे जाने की पीढ़ा
सब को है और हमेशा रहेगी
पर तुम्हारे जाने का एहसास
पल पल मुझे सत्ताता है
तुम्हारे होने न होने का अंतर
शायद मुझ से जायदा कोई नहीं समझ सकता
फिर भी सब कहते है
तुम तो बहु हो बेटी नहीं
कोई नहीं समझ सकता
की तुम मेरी जनम की माँ न सही
करम की माँ तो थी
और बस
मैने तुम्हे माँ मान लिया था
अब जो तुम नहीं हो
फिर भी मेरी हो और हमेशा रहोगी ........................................