Monday, September 10, 2018

मन कितना गहरा।।।।

 अब मन इतना गहरा नहीं
की तेरे राग और द्वेष को
एक साथ बसा सके।
तू जा,बस चला जा।

तू अब चिड़िया के परो पर
सवार होकर चला जा दूर कहीं
जहां से तेरी मेरी धड़कन
आ-जा ना सके आर पार।

मृत्यु का सत्य जहां से ना
आ सके मेरे पास
जीवन का सत्य ना पहुंच सके
तेरे पास।

अब मन इतना ठहरा नहीं
की सम्हाल सके सच - झूठ
कसम है तुझे कफ़न की
तू जा ,बस, चला जा।

Friday, July 27, 2018

चलो ऐसा करे।।।।।।

            चलो ऐसा करे।।।।।

कविताएं खत्म हुई सारी
चलो कुछ और कहते है।
ख्वाहिशें भस्म हुए सारी
चलो कुछ और कहते है।

चलो कहे की तुम ही जी लो,
कहे की मै ही मर जाता हू,
कहे की आज तू जाग रात सारी,
मै कुछ सपने चुराता हू।

चलो ऐसा करे हम साथ सांसे ले,
चलो ऐसा करे की साथ मे आज मुस्कुराएं,
चलो देख आए अंधेरे गलियों के,
चलो धूल में थोड़ा सन जाए।

पता है तुम ना कर पाओगे कुछ भी,
तो कोई बात नही है।
मेरे हिस्से में अभी भी दिन है,
तेरे हिस्से में भी अभी, रात नहीं है।