वो एक घंना सा पेड़
वो उसके तने मै छोटा सा पोधा
वो तेज बारिश की उड़ान
वो सरसराती हवा की लहर
वो उस पोधे का पेड़ से सटक जाना
वो पेड़ का पतों को झुका देना
वो बेदर्द हवाओ से दोनों का लड़ना
वो दोनों का एक दुसरे को बचाना
वो सुबह की धुप मे दोनों का खिलना
वो रात के अंधरे मे लिपट कर सोना
वो उसके तने मै छोटा सा पोधा
वो तेज बारिश की उड़ान
वो सरसराती हवा की लहर
वो उस पोधे का पेड़ से सटक जाना
वो पेड़ का पतों को झुका देना
वो बेदर्द हवाओ से दोनों का लड़ना
वो दोनों का एक दुसरे को बचाना
वो सुबह की धुप मे दोनों का खिलना
वो रात के अंधरे मे लिपट कर सोना
वो रात को दिन और दिन को रात कहना
वो मौसमों का उनके अंदर पलना
वक़्त और ज़िन्दगी के सब बहाने है,
सांसो को चलने के सब फ़साने है।
अब पेड़ मर गया है
और पौधा खड़ा है,
जो साथ निभा कर भी बच जाए
लोग कहते उनको सयाने है।
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