आत्ममंथन
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब
मेरी स्वभाव को भाती नहीं,
जो कल था और कल होगा
वर्तमान मेरा अब सजाती नहीं !!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब ,
मेरी स्वभाव को भाती नहीं!!!!!!
पंक्तियों को क्रम से बाचना
एकरसता का प्रतीक सा लगता है,
भावनाओ की यह लुका छुपी
सम्भवत मुझे अब सुहाती नहीं !!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब ,
मेरी स्वभाव को भाती नहीं!!!!!!
क्यों पानी की तरह बह न जाऊ ,
क्यों पत्थर बन अड़ जाऊ न,
नारी हू मै, एक शक्तिपुंज
विफलता अब मुझे डराती नहीं !!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब ,
मेरी स्वभाव को भाती नहीं!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब
मेरी स्वभाव को भाती नहीं,
जो कल था और कल होगा
वर्तमान मेरा अब सजाती नहीं !!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब ,
मेरी स्वभाव को भाती नहीं!!!!!!
पंक्तियों को क्रम से बाचना
एकरसता का प्रतीक सा लगता है,
भावनाओ की यह लुका छुपी
सम्भवत मुझे अब सुहाती नहीं !!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब ,
मेरी स्वभाव को भाती नहीं!!!!!!
क्यों पानी की तरह बह न जाऊ ,
क्यों पत्थर बन अड़ जाऊ न,
नारी हू मै, एक शक्तिपुंज
विफलता अब मुझे डराती नहीं !!!!!!!
इसिलिय एक लयबद्ध कविता अब ,
मेरी स्वभाव को भाती नहीं!!!!!!
Wow...wondeful to read something from you after long..!
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